रामलीला का सुसंकृत परिवेश, चित्रकूट की गरिमा, रामायण मेला, बाँदा का रोमांस, प्रगतिशील कवि...
मेरे आसपास के लोग
स्मृतियों की परछाइयां !… समय की मुठ्ठी में जीवंत और महसूस होता अतीत कभी-कभी...
– मनमोहन सरल वरिष्ठ सहायक संपादक : धर्मयुग टिल्लन का नाम तो सुना था...